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 नमस्कार दोस्तों।। आप सभी का इस पेज पर स्वागत है। आजकल सारा का सारा जमाना ही मोबाइल और इंटरनेट पर शिफ्ट हो गया है। छात्र चाहे किसी भी क्लास के हो या किसी फाउंडेशन कोर्स की तैयारी कर रहे हो, डिप्लोमा कोर्स कर रहे हो,  सर्टिफिकेट कोर्स की तैयारी कर रहे हों या फिर कम्पटीशन की तैयारी में जुटे हैं, लगभग सभी ने आज इंटरनेट का इस्तेमाल अपनी पढ़ाई के लिए शुरू कर दिया है और सही माने तो इसमें छात्रों को ज्यादा सुविधा, बहुत से टीचर्स से पड़ने का मौका, अपनी मनमानी विषय या टॉपिक को पढ़ने का मौका कम खर्चे और समय की बचत के साथ उपलब्ध हो जाता है। शायद यही कारण है कि छात्र इंटरनेट की तरफ ज्यादा तेजी से मुड़े है। पढने का मतलब केवल छात्रों तक ही सीमित नहीं होता बल्कि पढना तो सतत् सीखने की प्रक्रिया का एक हिस्सा है जिसे हर आयु वर्ग का व्यक्ति फॉलो करता है किसी को लेख पढना पसन्द है‚ किसी को कहानियां‚ किसी काे कवितायें तो कोई महापुरूषों की जीवनियां पढता है‚ कोई धार्मिक कहानियां पढना पसन्द करता है‚ जो लोग बिजनेस करते हैं तो वह लोग अपने धन्धे को बढाने वाले तथ्य पढना और समझना पसन्द करते हैं। पढने से हम अपने अन्दर ए

कालिदास सच–सच बतलाना (बाबा नागार्जुन) CSJMU BA-III (Hindi Literature)

  छत्रपति साहू जी महाराज यूनीवर्सिटी ( कानपुर यूनीवर्सिटी ) के बी०ए० तृतीय वर्ष के पाठ्यक्रम में बाबा नागार्जुन की कविता ʺ कालिदास सच – सच बतलाना ʺ का व्याख्यात्मक प्रदर्शन –   बाबा नागार्जुन   प्रगतिवादी काव्यधारा के प्रतिनिधि कवियों में से एक हैं | बाबा नागार्जुन को भावबोध और कविता के मिजाज के स्तर पर सबसे अधिक निराला और कबीर के साथ जोड़कर देखा गया है | नागार्जुन के काव्य में अब तक की पूरी भारतीय काव्य - परंपरा को जीवित रूप में देखा जा सकता है | उनका काव्य अपने समय और परिवेश की समस्याओं , चिंताओं एवं संघर्षों से प्रत्यक्ष जुड़ाव तथा लोकसंस्कृति एवं लोकहृदय की गहरी पहचान से निर्मित है | उनका ‘ यात्रीपन ’ भारतीय मानस एवं विषयवस्तु को समग्र और सच्चे रूप में समझने का साधन रहा है     कालिदास सच – सच बतलाना   इस कविता में नागार्जुन संस्कृत के महाकवि कालिदास के माध्यम से कविता की रचना प्रकिया की बात करते हैं | कालिदास ने अपने महाकाव्यों में जिन पात्रों